stock market news in hindi: August 2020

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Monday, August 31, 2020

SEBI has changed the rule of margin from September 1

 सेबी ने मार्जिन का नियम 1 सितंबर से बदल रहा है आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं जानना आपके लिए जरूरी है

Upfront margin to broker  के तौर पर जितना पैसा दिया होगा उतने के ही खरीद सकेंगे शेयरहर निवेशक के डीमैट अकाउंट में रहेगा शेयर, प्लेजिंग में ब्रोकर की भूमिका कम हो जायेगी

शेयर बाजार में 1 सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे broker की ओर से मिलने वाली margin का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे Upfront margin के तौर पर broker  को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर broker  आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?

सबसे पहले, यह margin क्या है?

शेयर मार्केट में अपफ्रंट margin सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है। वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से broker  से Upfront वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और Commodity derivatives में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है । इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर 

Brokerage हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह margin Brokerage हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी Brokerage हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे। Upfront margin में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (VAR) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ELM)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।

अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?

margin दो तरह की होती है। एक तो है कैश margin। यानी आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं।दूसरी है स्टॉक margin। इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है।इस सिस्टम में यदि कैश margin के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।

नया सिस्टम किस तरह अलग होगा?

सेबी ने margin ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे।नए सिस्टम में स्टॉक्स आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे। margin तय करना आपके अधिकार में रहेगा । प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा- ‘टीएमसीएम- क्लाइंट सिक्योरिटी margin प्लेज अकाउंट’। यहां टीएमसीएम यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर।

तब ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपके खाते में अतिरिक्त margin मिल सकेगी । यदि margin में एक लाख रुपए से कम का शॉर्टफॉल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी। इसी तरह एक लाख से अधिक के शॉर्टफॉल पर 1% पेनल्टी लगेगी। यदि लगातार तीन दिन margin शॉर्टफॉल रहता है या महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल रहता है तो पेनल्टी 5% हो जाएगी।

नई व्यवस्था में आज खरीदो, कल बेचो (BTST) का क्या होगा?

शेयर मार्केट में बीटीएसटी प्रचलित टर्म है, जब निवेशक आज किसी शेयर को खरीदता है और दूसरे ही दिन उसे बेच देता है। नए नियम से यह प्रक्रिया बदलने वाली है।यदि अगले ही दिन आपको स्टॉक बेचना है तो आपको VAR + ELM margin चाहिए होगी। यदि एक लाख रुपए का रिलायंस स्टॉक आपने आज खरीदा, आपको उसे बेचने के लिए 22 हजार रुपए की मार्जिन कल आपके अकाउंट में रखनी ही होगी । ब्रोकर्स ने इसका भी रास्ता निकाला है। यदि आपने आज कोई शेयर खरीदा और उसका पूरा भुगतान ब्रोकर को किया है तो भी ब्रोकर एक्सचेंज को VAR + ELM ही चुकाएगा। इससे आपके पास अगले दिन उस स्टॉक को बेचने के लिए पर्याप्त margin होगी।


उदाहरण के लिए, यदि आपके एक लाख रुपए है और आपने रिलायंस खरीदा। ब्रोकर VAR + ELM के तौर पर 22 हजार रुपए ब्लॉक करेगा और रिपोर्ट करेगा। इस तरह, अगले दिन एक लाख रुपए का रिलायंस बेचने के लिए बचे हुए 78 हजार में से आपको margin मिल जाएगी।

बीटीएसटी ट्रेड्स की अनुमति देने के लिए कुछ ब्रोकर्स ने यह रास्ता निकाला है। लेकिन यह उन्हीं स्टॉक्स पर उपलब्ध है जिन पर वीएआर+ईएलएम 50% से कम है। चूंकि, टॉप 1,500 स्टॉक्स की वीएआर+ईएलएम 50% से कम है, इस वजह से बीटीएसटी संभव हो सकेगा

इसका निवेशकों को क्या फायदा होगा?

सेबी को नया नियम लाना पड़ा क्योंकि प्लेज किए जाने वाले स्टॉक्स के ट्रांसफर ऑफ टाइटल (ऑनरशिप) को लेकर दिक्कतें थी। कुछ ब्रोकर्स ने इसका दुरुपयोग किया।चूंकि, स्टॉक्स निवेशक के डीमैट खाते में ही रहेंगे, ब्रोकर इन सिक्योरिटी या स्टॉक का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा। एक क्लाइंट के स्टॉक को प्लेज कर दूसरे क्लाइंट की margin बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं होगा।

मौजूदा प्लेज सिस्टम में स्टॉक्स ब्रोकर के कोलेटरल अकाउंट में होते थे, इसलिए उस पर मिलने वाले डिविडेंड, बोनस, राइट्स आदि का लाभ ब्रोकर उठा लेता था। अब ऐसा नहीं हो सकेगा । सभी सिक्योरिटी पर प्लेज की अनुमति होगी क्योंकि कुछ ब्रोकर एक्सचेंज से अनुमति होने के बाद भी कई सिक्योरिटी पर प्लेज स्वीकार नहीं करते थे।निवेशकों को क्या नुकसान है?

भारत में आम तौर पर स्टॉक्स के सेटलमेंट में दो दिन लगते हैं। यानी आप स्टॉक खरीदते हैं तो आपके डीमैट अकाउंट में उसे आने में दो दिन (T+2) लग जाते हैं। इसी तरह स्टॉक बेचने पर उसका क्रेडिट अकाउंट में पहुंचने में दो दिन लग जाते हैं।यदि आपने एक लाख रुपए के शेयर बेचे और उसी दिन कुछ और खरीदना चाहते हैं तो नहीं खरीद सकेंगे। आपको प्लेज करना होगा और margin लेनी होगी। अब तक ब्रोकर बिक्री पर नोशनल कैश दे देते थे, जिससे उसी दिन दूसरा शेयर खरीदा जा सकता था।

नई व्यवस्था में नोशनल कैश की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस वजह से आपको बेचने पर उसका पैसा क्रेडिट होने का इंतजार करना होगा। उसके बाद ही आप कोई शेयर खरीद सकेंगे। अन्यथा आपको अपने अकाउंट के शेयर प्लेज कर मार्जिन जुटानी होगी।

ब्रोकरिंग हाउसेस को चिंता है कैश और डेरिवेटिव्स सेग्मेंट में मार्केट और उनके खुद के टर्नओवर कम होने की। उन्हें लग रहा है कि डेली टर्नओवर 20-30% कम हो जाएगा । क्लाइंट्स को अपने अकाउंट में हायर margin बनाकर रखनी होगी और इससे उनके रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट पर भी असर पडे़गा। उनकी रिस्क लेने की क्षमता भी कम हो जाएगी । इस बदलाव से न केवल ब्रोकर्स को बल्कि सरकार को भी नुकसान होगा। सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) के तौर पर सरकार को मिलने वाला राजस्व कम होगा।

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Saturday, August 29, 2020

unlock 4 guidelines allowed metro social academic events

 अनलॉक-4 के लिए गाइडलाइन जारी :-7 सितंबर से मेट्रो शुरू होगी, 21 सितंबर से धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में 100 लोग शामिल हो सकेंगे; 30 सितंबर तक स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे कंटेनमेंट जोन में 30 सितंबर तक लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जाएगाकिसी को भी देश में कहीं भी जाने के लिए अलग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी

भारत सरकार ने अनलॉक-4 के लिए शनिवार शाम गाइडलाइन जारी कर दी। यह 30 सितंबर तक लागू रहेंगी। इसके तहत, 7 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से मेट्रो रेल शुरू करने की अनुमति होगी। 21 सितंबर से सोशल सामाजिक, अकादमिक, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट, कल्चरल, धार्मिक, राजनीतिक और धार्मिक समेत अन्य आयोजनों की अनुमति होगी, लेकिन इसमें 100 से ज्यादा लोगों के शामिल होने की इजाजत नहीं होगी. इस दौरान, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, थर्मल स्क्रीनिंग और सैनेटाइजर का उपयोग अनिवार्य होगा.

अनलॉक 4 गृह मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश
 कंटेनमेंट जोन में 30 सितंबर तक लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जाएगा । इंटर और इंट्रा स्टेट मूवमेंट पर अब कोई रोक नहीं होगी। किसी को भी देश में कहीं भी जाने के लिए अलग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी  सभी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग रखना होगी। दुकानों पर ग्राहकों के बीच भी सोशल डिस्टेंसिंग रखना अनिवार्य है। इस पर गृह मंत्रालय खुद निगरानी रखेगा।
65 साल से ऊपर के लोगों, 10 साल की आयु से नीचे के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, अन्य घातक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को जब तक जरूरी न हो बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई है।

राज्य सरकारें अब बिना केंद्र सरकार की अनुमति के स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं लगा पाएंगे। केवल कंटेनमेंट जोन में ही लॉकडाउन लगा सकेंगे।21 सितंबर से ओपन एयर थिएटर खोलने की अनुमति होगी। 30 सितंबर तक स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे। इस समय तक ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा।कंटेनमेंट जोन के बाहर 21 सितंबर से अनुमति मिल सकती है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय अलग से एसओपी जारी करेगा। सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित सरकारें स्कूल और कॉलेजों में 50% टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को बुला सकते हैं।

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Vodafone Idea shares jumped 17.5%

 नई दिल्ली: तीन दिन की गिरावट के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में शुक्रवार को तेजी लौटी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले वोडाफोन आइडिया के शेयरों ने 17.5 प्रतिशत तक की छलांग लगाई. कंपनी को एजीआर मामले में अच्छे नतीजों की उम्मीद है .शुक्रवार को सप्ताह के अंतिम दिन कंपनी के शेयर 17.5 प्रतिशत की छलांग लगाकर 10.43 रुपये तक पहुंच गए. हालांकि, दोपहर 12.30 बजे, शेयरों की कीमत 10.15 रुपये पर आ गई


जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "मामला अभी कोर्ट में हैं और लोगों की आंखों फैसले परे है. बाजार में इस फैसले को लेकर मिला-जुला रुख है. कई लोग राहत दिए जाने के पक्ष में हैं. फैसले की उम्मीद लगाई जा रही है."न्यानमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ जल्द फैसला सुना सकती है. इसमें कंपनियों को एजीआर भुगतान के लिए 15-20 साल की एक्सटेंशन शामिल है. साथ ही स्पेक्ट्रम को दिवालियानप के दायरे और अतिरिक्त देनदारी के मामले में भी फैसला आ सकता है.


रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की भी नजरें इस फैसले पर होंगी क्योंकि उन्हें रिलायंस कम्युनिकेशंस, वीडियोकॉन व एयरसेल के स्पेक्ट्रम का भुगतान करना पड़ सकता है.नायर ने कहा कि पहले के महीनो की तुलना में मई में कंपनी सब्सक्राइबर्स की संख्या बेहतर रही. मई में कंपनी ने 47 लाख ग्राहक गंवाए. वोडाफोन आइडिया के पास कुल 30.9 दस लाख ग्राहक हैं. उन्होंने कहा, "यह ठीक है. कंपनी ज्यादा ग्राहक नहीं गंवा रही हैं. इसे अच्छा संकेत मानना चाहिए.

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Thursday, August 27, 2020

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में मोदी सरकार से सस्ता में सोना खरीदने का आखिरी मौका

मोदी सरकार एक बार फिर आपके लिए सस्ता सोना खरीदने का मौका दे रही है। इस साल आपके लिए यह आखिरी मौका होगा। सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का सब्सक्रिप्शन 31 अगस्त से लेकर 4 सितंबर के बीच लिया जा सकता है। इसकी किस्त 8 सितंबर को जारी की जाएगी। सॉवरेन गोल्ड बांड में निवेशक को फिजिकल रूप में सोना नहीं मिलता। यह फिजिकल गोल्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित है।

1. मोदी सरकार छठी और इस साल आखिरी बार गोल्ड बॉन्ड लेकर आ रही है। वह भी तब जब घरेलू कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच रही हैं। 54000 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर पहुंच कर रिकॉर्ड बना चुका सोना पिछले कई दिनों से नीचे की ओर जा रहा है। इसके बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि दीवाली तक यह 64000 से 82000 रुपये तक पहुंच सकता है।

2. सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सॉवरेन गोल्ड बांड जारी किए जाते हैं। भौतिक सोने की मांग को कम करने और वित्तीय बचत में घरेलू बचत के एक हिस्से को स्थानांतरित करने के उद्देश्य से 2015 में सॉवरेन गोल्ड बांड योजना शुरू की गई थी। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन द्वारा 999 शुद्धता वाले सोने के लिए Latest closing प्राइस के आधार पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स का मूल्य तय किया जाता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक वित्तीय वर्ष में एक व्यक्ति अधिकतम 500 ग्राम सोने के बॉन्ड खरीद सकता है। वहीं न्यूनतम निवेश एक ग्राम का होना जरूरी है।

3. 31 अगस्त से 4 सितंबर के बीच सोने के बॉन्ड की इस किस्त की जारी करने की तारीख तय की गई है।

 बांड जारी होने के पखवाड़े के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों पर तरलता के अधीन हो जाते हैं।

 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानि आरबीआई ने अप्रैल में घोषणा की थी कि सरकार सितंबर तक छह ट्रेंच में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करेगी। इसकी सबसे खास बात होती है कि निवेशक को सोने के भाव बढ़ने का लाभ तो मिलता ही है, साथ ही उन्हें इन्वेस्टमेंट रकम पर 2.5 फीसद का गारंटीड फिक्स्ड इंटरेस्ट भी मिलता है।


इन बॉन्ड्स की अवधि 8 साल की होती है और 5वें साल के बाद ही प्रीमैच्योर विड्रॉल किया जा सकता है। इस पर तीन साल के बाद लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा (मैच्योरिटी तक रखने पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा) वहीं इसका लोन के लिए  इसका उपयोग कर सकते हैं।

सोना किस भाव पर मिलेगा 

वहीं ऑनलाइन खरीदने पर इस पर 50 रुपये प्रति ग्राम या 500 रुपये प्रति 10 ग्राम की छूट मिलेगी। SGB को बैंकों (स्मॉल फाइनेंस बैंकों और पेमेंट बैंकों को छोड़कर), स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Stock Holding Corporation of  India ltd), नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों (National Stock Exchange of India और Bombay Stock Exchange) के माध्यम से बेचा जाएगा। 

सॉवरेन गोल्ड बांड क्या है

सॉवरेन गोल्ड बांड में निवेशक को फिजिकल रूप में सोना नहीं मिलता। यह फिजिकल गोल्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित है। जहां तक शुद्धता की बात है तो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होने के कारण इसकी शुद्धता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। इस पर तीन साल के बाद लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा (मैच्योरिटी तक रखने पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा) वहीं इसका लोन के लिए  इसका उपयोग कर सकते हैं। अगर बात रिडेंप्शन की करें तो पांच साल के बाद कभी भी इसको भुना सकते हैं।

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Note :-स्टॉक्स से जुड़े सलाह विशेषज्ञों द्वारा दिए गए हैं। इन स्टॉक्स में निवेश से पहले अपने इंवेस्टमेंट विशेषज्ञों की राय जरूर लें।

Wednesday, August 26, 2020

LIC Housing Finance Ltd share price target

 नई दिल्ली, पीटीआइ। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (LICHFL) के शेयर में मंगलवार को भारी उछाल दर्ज किया गया है। कंपनी के शेयर में मंगलवार को 8 फीसद का उछाल दर्ज किया गया है। कंपनी  मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही का परिणाम जारी करने के बाद शेयर में यह उछाल दर्ज किया गया है। कंपनी ने 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में अपने शुद्ध लाभ में 34 फीसद का उछाल दर्ज किया है। Bombay Stock Exchange पर कंपनी का शेयर (LICHFL Share Price) मंगलवार को 8.06 फीसद के उछाल के साथ 299 रुपये पर बंद हुआ है।


ट्रेडिंग के दौरान मंगलवार को कंपनी का शेयर 11.45 फीसद की उछाल के साथ 308.40 तक गया था। वहीं, एनएसई पर कंपनी का शेयर 8 फीसद की बढ़त के साथ 298.95 पर बंद हुआ है। अगर मात्रा के हिसाब से देखें, तो मंगलवार को बीएसई पर कंपनी के 21.07 लाख शेयर और एनएसई पर 4 करोड़ से अधिक शेयर ट्रेड कर रहे थे।
कम प्रोविजनिंग की मदद से 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में कंपनी के शुद्ध लाभ में 34 फीसद का उछाल आया है, जिससे यह 817.48 करोड़ रुपये रहा। पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी का लाभ टैक्स के बाद 610.68 करोड़ रुपये रहा था।

कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सिद्धार्थ मोहंते ने कहा, 'लाभ में वृद्धि मुख्य रूप से प्रोविजनिंग के कारण हुई है, जो पिछली बार (Q1 FY20) की तुलना में वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कम थी।' अप्रैल-जून 2020 में कंपनी की कुल आय बढ़कर 4,977.49 करोड़ रुपये आ गई है। यह एक साल पहले की समान तिमाही में 4,807.21 करोड़ रुपये थी।,

LIC Housing Finance Ltd share price target 350 6 month

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Note :-स्टॉक्स से जुड़े सलाह विशेषज्ञों द्वारा दिए गए हैं। इन स्टॉक्स में निवेश से पहले अपने इंवेस्टमेंट विशेषज्ञों की राय जरूर लें।

Tuesday, August 25, 2020

क्या 2000 रुपए का नोट बंद होने वाला है ?

 2000 रुपये के नोट को लेकर लगातार खबरें आती रहती है. भारतीय रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते एक साल में उन्होंने 2000 रुपये का एक भी नया नोट नहीं छापा है.इस वित्त वर्ष में नहीं छपे 2000 रु के नोट,तो क्या भारतीय रिजर्व बैंक बंद करने वाली है क्या 2000 रुपए का नोट बंद होने वाला है ?

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि साल 2019-20 में 2000 रुपये के नोट की छपाई नहीं की गई है. बीते सालों में भी 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन भी कम हुआ है. 2000 रुपये के नोट का प्रसार मार्च 2018 के अंत में 33,632 लाख था जो मार्च 2019 के अंत तक घटकर 32,910 लाख पर आ गया. आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि मार्च 2020 के अंत तक 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन 27 398 मिलियन करने के लिए गिर गया है।

2000 रुपये के नोट को लेकर सरकार दे चुकी हैं सफाई- वित्त और कारपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोशल मीडिया पर छाई 2000 रुपये के नोट को बंद करने की खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि 'सरकार की फिलहाल 2,000 रुपये का नोट बंद करने की कोई योजना नहीं है.

इकॉनमी में व्यापक सुधारों की जरूरत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि कोविड-19 के बीच भारत को एक स्थिर वृद्धि की राह पर लौटने के लिए गहरे और व्यापक सुधारों की जरूरत है. केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि इस महामारी की वजह से देश की संभावित वृद्धि दर की क्षमता नीचे आएगी. केंद्रीय बैंक के आकलन और संभावनाओं में कहा कि कोविड-19 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से तोड़ दिया है. भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था के आकार के इस तथ्य पर निर्भर करेगा कि क्या महामारी के फैलाव कैसा रहता है, और महामारी कब तक रहती है और कब तक इसके इलाज का टीका आता है. केंद्रीय बैंक का 'आकलन और संभावनाएं 2019-20’ की वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं.

रिजर्व बैंक ने कहा कि एक बात जो उभरकर आ रही है, वह यह है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बदल जाएगी और एक नया सामान्य सामने आएगा. रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी के बाद के परिदृश्य में गहराई वाले और व्यापक सुधारों की जरूरत होगी. उत्पाद बाजार से लेकर वित्तीय बाजार, कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर व्यापक सुधारों की जरूरत होगी. तभी आप वृद्धि दर में गिरावट से उबर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ मजबूत और एक स्थिर वृद्धि की राह पर ले जा सकते हैं.


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Sunday, August 23, 2020

निफ्टी 50 इंडेक्स में लोअर सर्किट कब लगता है ?

 निफ्टी 50 इंडेक्स में लोअर सर्किट कब लगता है ?

निफ्टी 50 इंडेक्स भारतीय शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक है. इसे निवेशकों का सूचकांक माना जाता है, जबकि बीएसई सेंसेक्स को कारोबारियों के सूचकांक के रूप में देखा जाता है.निफ्टी 50 इंडेक्स पर 50 कंपनियां मौजूदा हैं. बाजार पूंजीकरण के आधार पर ये शीर्ष कंपनियां मानी जाती हैं. निफ्टी 50 इंडेक्स में शामिल कंपनियों की समीक्षा हर छह महीने में की जाती है. फिर कुछ शेयरों को हटाने और कुछ को शामिल करने का फैसला लिया जाता है.

निफ्टी 50 इंडेक्स में शामिल शेयरों में लोअर सर्किट नहीं लगता है, क्योंकि ये बेंचमार्क इंडेक्स पर शामिल शेयर Derivatives segment के होते हैं. मगर एकाएक तेजी आने पर कामकाज पर ब्रेक लग सकता है. हालांकि, पूरे इंडेक्स में लोअर सर्किट लगने के मौके बहुत कम आते हैं.

1. निफ्टी 50 इंडेक्स में लोअर सर्किट कब लगता है?

निफ्टी 50 इंडेक्स में बड़ी गिरावट आने पर स्वत: शेयर बाजार के कारोबार पर रोक लग जाती है. जिस स्तर पर शेयर बाजार के कारोबार रुकता है, उसे लोअर सर्किट कहा जाता है. यह कारोबारी सत्र के दौरान कभी भी लग सकता है. यह बाजार में उतार-चढ़ाव को काबू में करने का काम करता है.

2. निफ्टी 50 इंडेक्स पर लोअर सर्किट के कितने चरण हैं ? निफ्टी 50 इंडेक्स पर आधारित लोअर सर्किट पूरे बाजार पर लागू होता है. इसके तीन चरण होते हैं. यह 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट पर लगता है. यह सर्किट लगने पर इक्विटी और Equity derivatives  कारोबार रुक जाता है. एक इंडेक्स पर लोअर सर्किट लगने पर दूसरे पर सर्किट स्वत: ही लागू हो जाता है.

3. कितनी देर के लिए रुकता है कारोबार ? 
3. यदि 10 फीसदी का सर्किट नियमयदि 10 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में एक घंटे के लिए शेयर बाजार रोक दिया जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक शेयर बाजार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन Session  होता है.

4. यदि 10 फीसदी का लोअर सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो शेयर बाजार 30 मिनट के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 15 मिनट तक शेयर बाजार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है.यदि 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो शेयर बाजार सत्र के अंत तक यानी 3.30 बजे तक जारी रहता है.

5. 15 फीसदी का लोअर सर्किट नियम यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए शेयर बाजार रोक दिया जाता है. इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक शेयर बाजार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है.

6. यदि 15 फीसदी का लोअर सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो शेयर बाजार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक शेयर बाजार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है.यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो शेयर बाजार सत्र के अंत तक यानी 3.30 बजे तक रुका रहता है.

7. 20 फीसदी का लोअर सर्किट नियम यदि शेयर बाजार में प्रमुख सूचकांक पूरे दिन में कभी भी 20 फीसदी तक लोअर सर्किट लगता है, तो शेयर बाजार को पूरे दिन के लिए रोक दिया जाता है और फिर शेयर बाजार अगले सत्र में ही शुरू होता है.

8. शेयर बाजार रुकने के बाद कब और कैसे शुरू होता है ? सर्किट लगने पर शेयर बाजार रुक जाता है. जब बाजार दोबारा खुलता है तो पहले 15 मिनट का प्री-ओपन सत्र होता है. इसके बाद सामान्य शेयर बाजार शुरू होता है और यह अगला सर्किट लगने या सत्र के अंत तक जारी रहता है.

9. लोअर सर्किट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है ? लोअर सर्किट के स्तर स्टॉक exchange द्वारा तय किए जाते हैं. इन्हें निवेशकों और ब्रोकरों के हितों को ध्यान में रख कर तय किया जाता है ताकि उन्हें बाजार को Big shaking से बचाया जा सके. बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान कारोबारियों को करारा झटका लगता है. ऐसी स्थिति में बाजार पर दबाव बढ़ जाता है.

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Saturday, August 22, 2020

SEBI is considering making changes in public shareholding rules 2020

 सेबी पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम में बदलाव करने पर विचार कर रहा है.

बाबा रामदेव के पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया के शेयर ने इस साल (2020) 9,280 फीसदी छलांग लगाई. फिर इसकी कीमत आधी हो गई. हालांकि, अपने निचले स्तर से यह अब भी 4,200 प्रतिशत ऊपर है. शेयर में आई तेजी ने सेबी को भी हैरान कर दिया है. यही वजह है कि वह पब्लिक शेयर होल्डिंग नियम में बदलाव करने पर विचार कर रहा है.


हम बात कर रहे हैं बाबा रामदेव के पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया की. दिवालियापन की प्रक्रिया से निकलने के बाद इसके शेयर ने शानदार तेजी दिखाई है. इसकी वजह यह है कि इस कंपनी में आम निवेशकों की हिस्सेदारी बहुत कम है

अब सेबी का मानना है कि दिवालियापन से निकलने वाली कंपनियों के पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों में बदलाव जरूरी है. एक कंपनी के लिए आवश्यक शेयरों की बस 25 प्रतिशत। हालांकि, नियमों सार्वजनिक शेयरधारिता दिवालियापन से उभरा कंपनी से अलग हैं।

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दिवालियापन से निकलने के बाद शेयर बाजार में फिर लिस्ट होने वाली कंपनियों को न्यूनतम 10 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग के लिए 18 महीने का वक्त मिलता है. सेबी इसे घटाकर 6 महीने करना चाहता है.इस नियम के अनुसार, दोबारा लिस्ट होने वाली कंपनी को दूसरी बार लिस्टिंग के तीन साल बाद पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी तक करना होता है. बता दें की सितंबर 2018 से फरवरी 2020 के बीच रुचि सोया समेत चार कंपनियां दोबारा शेयर बाजार में लिस्ट हुई हैं.सेबी ने रुचि सोया के मामले में अपने सलाह पत्र में कहा, "हाल ही में पाया गया है कि दिवालियापन और समाधान प्रक्रिया के बाद कंपनी में सार्वजनिक निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर महज 0.97 फीसदी रह गई. इससे इसके शेयर में जबरदस्त तेजी आई है."

बीते साल योग गुरु बाबा रामदेब की पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया का अधिग्रहण किया था. 31 मार्च 2020 तक संस्थापकों के पास कंपनी की 99.03 फीसदी हिस्सेदारी थी. कंपनी के शेयर का भाव 16.20 रुपये से 1,535 रुपये के स्तर तक पहुंच गया. इसके बाद कंपनी शेयर 50 फीसदी तक लुढ़क गए.

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, अपने शिखर स्तर पर कंपनी की वैल्यूएशन $6 अरब थी, जो मैरिको इंडस्ट्रीज और कोलगेट पामोलिव जैसी दिग्गज एफएमसीजी कंपनियों से अधिक थी "सार्वजनिक हिस्सेदारी कम होने से कई चिंताएं खड़ी होती हैं. इससे शेयर का उचित भाव पता चल पाना मुश्किल हो जाता है

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सेबी ने कहा कि दूसरी विकल्प यह भी है कि दोबारा लिस्टिंग के समय ही सार्वजनिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी की न्यूनतम सीमा 5 फीसदी तय कर दी जाए,.मगर इससे गैर-लिक्विड शेयरों की चिंताए कम नहीं होती हैं. इस प्रस्तावों पर बाजार से जुड़ी इकाई को 18 सितंबर तक अपनी राय देनी है.जून तिमाही में रुचि सोया का मुनाफा 13 फीसदी घटकर 12.25 करोड़ रुपये रहा, जो बीते साल इस तिमाही में 14.01 करोड़ रुपये था. 30 जून को खत्म हुई तिमाही में कंपनी की कुल आय घटकर 3,057.15 करोड़ रुपये रही, जो पहले 3,125.65 करोड़ रुपये थी.

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Friday, August 21, 2020

Next meeting of RBI committee is scheduled from September 29 to October 1, 2020

रिजर्व बैंक फिर घटा सकता है ब्याज दरें ?

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास मानते हैं कि मौद्रिक नीति में आगे और कदम उठाने की गुंजाइश है पर फिलहाल वह अपने शस्त्रों को भविष्य में इस्तेमाल के लिये बचाकर रखने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए इनका उपयुक्त समय पर इस्तेमाल किया जाना चाहिये। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हालिया बैठक के ब्यारे में यह बात सामने आई है।


रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की इस महीने की शुरुआत में हुई तीन दिवसीय बैठक की कार्यवाही की जानकारियां गुरुवार को जारी की गईं। गवर्नर दास की अगुवाई वाली समिति ने यथा स्थिति बरकरार रखते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, समिति ने अपना रुख उदार बनाए रखा, जिससे भविष्य में कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए जरूरत पड़ने पर दरों में आगे कटौती की गुंजाइश के संकेत मिलते हैं। ब्योरे के अनुसार, दास ने यह भी कहा कि इस स्तर पर वृद्धि और मुद्रास्फीति के सब के एक मजबूत आकलन के लिए इंतजार करना बुद्धिमान होगा। दास ने कहा कि फरवरी 2019 के बाद से नीतिगत दर में कुल 2.50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। उन्होंने कहा, ऐसे में हमें कुछ समय के लिए रुकना चाहिए और इस कटौती का प्रभाव वित्तीय प्रणाली में देखना चाहिए। दास ने कहा, इस मौके पर वृद्धि और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के मजबूत आकलन के लिए इंतजार करना विवेकपूर्ण होगा, 

अर्थव्यवस्था धीरे धीरे खुल रही है, आपूर्ति में अड़चनें कम होती दिख रही हैं और मूल्य जानकारियां पाने का स्वरूप स्थिर हो रहा है। गवर्नर ने कहा कि घरेलू और बाहरी मांग के बीच कम क्षमता के उपयोग से निवेश मांग के मरम्मत में देरी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के साल की पहली छमाही में संकोचन की आशंका है, और पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वृद्धि के नकारात्मक रहने का अनुमान है।

दास ने कहा कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर समूचे खाद्य और उपभोक्ता मूलय सूचकांक में आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट की आशंका की स्थिति में दबाव होना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा,जैसा कि मैं अक्तूबर 2019 से कह रहा हूं, मौद्रिक नीति को आर्थिक सुधार प्रक्रिया के समर्थन की दिशा में बनाया गया है। हालांकि, मौद्रिक नीति के तहत और कदम उठाने की गुंजाइश बनी हुई है लेकिन इस स्थिति में हमें अपने हथियारों को बचाकर रखना चाहिए और आने वाले समय में विवेकपूर्ण तरीके से इनका उपयोग करना चाहिए। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एवं एमपीसी के सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने अर्थव्यवस्था का परिदृश्य नरम होने को लेकर सजग करते हुए कहा कि जब यह सुधरता है, जो कि धीमी गति से होने की उम्मीद है, ऐसे में बेहतर होने से पहले इसके और बिगड़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का टिकाऊ पुनरुद्धार विभिन्न क्षेत्रों में गतिविधि को फिर से शुरू करने, रोजगार बहाल करने, परिवारों, व्यवसायों व वित्तीय माध्यमिक निकायों के वित्तीय तनावों को कम करने, आत्मविश्वास बहाल करने आदि कारकों पर निर्भर करता है।

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आरबीआई के कार्यकारी निदेशक मृदुल के सगर ने कहा कि उबरने का रास्ता अनिवार्य रूप से इस बात से जुड़ा हुआ है कि महामारी का आने वाले समय में क्या रुख रहता है। जब तक इसे काबू कर सामान्य स्थिति बहाल नहीं कर ली जाती है, उबरना मुश्किल होगा। समिति में बाहरी सदस्य रवींद्र एच ढोलकिया ने कहा कि व्यापक आर्थिक माहौल के बारे में काफी अनिश्चितताएं हैं। ढोलकिया ने कहा, हालांकि, मौजूदा परिस्थितियां वास्तव में असाधारण हैं, लेकिन एमपीसी को मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत की ऊपरी सीमा के दायरे में रखने की दी गई जिम्मेदारी को निभाने पर जोर देना चाहिए। समिति की सदस्य पामी दुआ का मानना है कि इस मोड़ पर प्रतीक्षा व समीक्षा की रणनीति को अपनाना और उभरती व्यापक आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए आने वाले आंकड़ों पर नजर रखना सबसे अच्छी रणनीति होगी। बाहरी सदस्य चेतन घाटे ने कहा कि वह फरवरी 2019 से ही नीति दर में कटौती के लिए अधिक सतर्क राह अपनाने की वकालत कर रहे हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 29 सितंबर से एक अक्तूबर 2020 को होनी तय है।

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Tuesday, August 18, 2020

Good news Indian investors can also invest in the US stock market

 अमेरिकी स्टॉक मार्केट में भारतीय रिटेल निवेशक भी निवेश कर सकते हैं जानिए कैसे और अब भारतीय रिटेल निवेशक भी अमेरिकी स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकते हैं. ICICI Securities ने अमेरिका के ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म इंटरऐक्टिव ब्रोकर्स एलएलसी के साथ टाइअप किया है, जिसके बाद 45 लाख से 48 लाख ग्राहकों को इसका लाभ मिल सकेगा.

ICICI Securities ने अमेरिका के ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म इंटरऐक्टिव ब्रोकर्स एलएलसी Global Trading Platform Interactive Brokers LLC के साथ टाइअप किया है. इसके बाद अब ICICI Securities के ग्राहक अब अमेरिकी मार्केट्स में निवेश कर सकते हैं. इससे ICICI Securities के 48 लाख कस्टमर्स को अपने Investation को भारत के बाहर निवेश करने में मदद मिलेगी. उनके पास अब अमेरिकी स्टॉक मार्केट के स्टॉक्स, ईटीएफ,म्युचुअल फंडों, और फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट्स में निवेश कर सकता है. ICICI Securities Limited, आईसीआईसीआई बैंक की एक सब्सडियरी है भारतीय रिटेल निवेशक को पोर्टफोलियो बढ़ाने में मदद मिलेगी

अमेरिकी स्टॉक मार्केट में भारतीय रिटेल निवेशक भी निवेश कर सकते हैं ICICI Securities के प्रबंध निदेशक व सीईओ विजय चंडोक ने कहा, 'वैश्विकरण बढ़ने के बाद कई निवेशक के लिए Diversification बेहद महत्वपूर्ण हो गया है ताकि वो अपनी जोखिम को कम कर सकें. उनके पास विभिन्न भौगोलिक और एसेट क्लास में निवेश करने का मौका मिलेगा. अमेरिका जैसे परिपक्व और बेहतर तरीके से रेगुलेट होने वाले मार्केट में निवेश करने का मौका मिलेगा.


हमें खुशी है कि हमने इंटरएक्टिव ब्रोकर्स के साथ हाथ मिलाया. हम एक साथ मिलकर अमेरिकी मार्केट में निवेश करना सरल बना सकेंगे, जितना घरेलू बाजार में निवेश करना सरल है. अकाउंट खोलने से लेकर ब्रोकिंग, पोर्टफोलियो मार्केट और स्टेटमेंट की सभी सुविधा डिजिटली प्रदान की जाएगी. अगर इन्वेस्टर्स मांग करते हैं तो भविष्य में हम अन्य मार्केट्स में भी शुरू करेंगे.Interactive Brokers  के निदेशक अंकित शाह ने कहा कि हमारी इस पार्टनरशिप से ICICI Securities  के ग्राहक को अमेरिकी स्टॉक मार्केट में निवेश करने का मौका मिलेगा . अमेरिका में पंजीकृत म्युचुअल फंडों, ETF  और स्टॉक में निवेश कर सकते हैं.

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Saturday, August 15, 2020

Best 10 stocks for long term investment 2020 Target

Stock Market में निवेशकों की संख्या में काफी अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इसी बीच बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने भी स्टॉक मार्केट में निवेश शुरू किया है। ऐसे निवेशकों का लक्ष्य बाजार से कुछ पैसे बनाने की है। तो आप कुछ चुनिंदा स्टॉक्स पर ध्यान दे सकते हैं। हम आपके लिए कुछ ऐसे ही शेयरों की सूची लेकर आए हैं, 

Best 10 stocks for long term investment 2020 Target 



इन स्टॉक्स में निवेश फायदे का सौदा हो सकता हैः

IDEA  :- के शेयर का मौजूदा भाव 9 रुपये के आसपास है।इसका Next One Year Return  टारगेट 25-29 रुपये का है। 

HDFC Life :- की मौजूदा कीमत 600 रुपये के आसपास है। इसका टारगेट 1000-1100 रुपये का है क्योंकि इंश्योरेंस सेक्टर का विस्तार हो रहा है। Next One Year Return एचडीएफसी अन्य बैंकों की तुलना में इसका लोन पोर्टफोलियो बेहतर है। साथ ही सैलरी अकाउंट होल्डर्स का बेस भी बहुत अच्छा है।

Bharti Airtel :-  के शेयर का वर्तमान भाव 525 रुपये के करीब है इसका टारगेट 790 - 950 रुपये तक जा सकता है। प्रति यूजर औसत आय में वृद्धि कंपनी के स्टॉक के लिए अच्छा है।

IIFL  :- का वर्तमान भाव 70 रुपये के आसपास है। इसका टारगेट Next One Year Return 120 -150 रुपये का है क्योंकि इसका एक्सपोजर गोल्ड लोन के लिए भी है। गोल्ड लोन इस स्टॉक के लिए अच्छा है।

Vipul Organics :-  का मौजूदा भाव 125 रुपये के आसपास है। इसके लिए हमने 190 - 250 रुपये का टारगेट तय किया है क्योंकि कंपनी ने हाल में अपनी क्षमता में 6 गुना का विस्तार किया है। आने वाली तिमाहियों में इसका असर देखने को मिलेगा। 

Tata motors :-  के शेयरों की वर्तमान कीमत 125 रुपये के आसपास है। इसके लिए टारगेट 200 - 250 रुपये का है क्योंकि कंपनी अपने कोर बिजनेस पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है। टाटा मोटर्स के लिए इलेक्ट्रिक वाहन फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं। 

Bajaj Consumers :-  के शेयरों की मौजूदा कीमत करीब 180 रुपये है। इसका Next One Year Return  टारगेट 250 - 300 रुपये का है |

टाटा कंज्यूमरः यह कंपनी भविष्य में ग्रो करती हुई नजर आ रही है। 

CreditAccess graameen :- के शेयर का मौजूदा भाव खरीदें 592 रुपये के आसपास है | Next One Year Return टारगेट :- 600 - 684 रुपये |


ITC :- के शेयर का मौजूदा भाव 196.55 रुपये के आसपास है | इसका Next One Year Return  टारगेट : - 180 - 228 रुपये |

आईटीसी :- यह कंप्लीट पैकेज के साथ आने वाली कंपनी है। यह कंपनी कई साल के निचले स्तर से अब उभरती हुई नजर आ रही है।


ICICI Bank :-  के शेयर का मौजूदा भाव 360.90 रुपये के आसपास है | Next One Year Return टारगेट :- 399 - 410 रुपये |


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Note :-स्टॉक्स से जुड़े सलाह विशेषज्ञों द्वारा दिए गए हैं। इन स्टॉक्स में निवेश से पहले अपने इंवेस्टमेंट विशेषज्ञों की राय जरूर लें।

Thursday, August 13, 2020

Best Mutual Funds SIP Returns Over 15% per year possible

 Mutual Funds SIP  क्या हैं?

एक म्यूचुअल फंड तब बनता है जब एक पेशेवर पूल विभिन्न व्यक्तियों और संस्थागत निवेशकों से सरकार और कॉर्पोरेट प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए पैसा लेता है। पूल किए गए निवेश को प्रबंधित करने वाले पेशेवर को फंड मैनेजर कहा जाता है। फंडों को इक्विटी एक्सपोजर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। म्यूचुअल फंड निवेश को जोखिम और संभावित नुकसान की भरपाई के लिए विविध किया जाता है।

Mutual Funds SIP  कैसे काम करते हैं?

म्यूचुअल फंड में काम करने की एक सरल प्रक्रिया होती है। एक निवेशक के रूप में, आप एक म्यूचुअल फंड कंपनी में निवेश करते हैं, जो निवेश के समान लक्ष्यों वाले अन्य व्यक्तियों से निवेश प्राप्त करता है। बनाया गया फंड एक पेशेवर द्वारा प्रबंधित किया जाता है जिसमें एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड होता है और वित्तीय बाजार का अपार ज्ञान होता है। फंड प्रबंधन का उद्देश्य रणनीतिक निवेश के माध्यम से विकास हासिल करना है। आपके निवेश की मात्रा के आधार पर निश्चित संख्या में फंड इकाइयाँ सौंपी जाएंगी। एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) म्यूचुअल फंड द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में निवेश करके आपके निवेश का प्रबंधन करेगी। म्यूचुअल फंड हाउस योजनाओं के लिए वित्तीय परामर्श, सलाहकार, ग्राहक सेवा, विपणन, लेखांकन और बिक्री कार्यों जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है।

SIP क्या है?

सिस्टमैटिक निवेश योजना (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश का एक स्मार्ट उपकरण है। SIP आपके म्यूचुअल फंड निवेश को परेशानी मुक्त और सीधा बनाते हैं। आप नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करके शुरू कर सकते हैं, साप्ताहिक, महीने के या त्रैमासिक कह सकते हैं। निवेश की यह नियोजित प्रक्रिया लंबे समय में वित्तीय अनुशासन को विकसित करने में मदद करती है और धन निर्माण के भविष्य को भी सुनिश्चित करती है। यह लचीला सुविधाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। SIP राशि आपके बैंक खाते स्वयं डेबिट होती है और आपकी म्यूचुअल फंड योजना में निवेश की जाती है। आपके द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक SIP  के साथ, म्यूचुअल फंड की अतिरिक्त इकाइयां प्रचलित नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) पर खरीदी जाती हैं और आपके खाते और प्रोफ़ाइल में जुड़ जाती हैं। आपको रुपे कॉस्ट एवरेजिंग और कंपाउंडिंग की शक्ति का लाभ मिलता है।

Mutual Funds SIP कर सालाना 15% से ज्यादा रिटर्न संभव है

Mutual Funds SIP:  के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है. ऐसा न करने पर अचानक से जरूरत आने पर आप फाइनेंस संबंधी दिक्कतों में फंस सकते हैं. फाइनेंशियल प्लानिंग में लांग टर्म इन्वेस्टमेंट की बात करें तो म्यूचुअल फंड का इक्विटी सेग्मेंट सबसे पॉपुलर विकल्प बन गया है. रिटर्न चार्ट पर ज्यादातर म्यूचुअल फंड स्कीम में ने लंबे समय में निवेशकों को मालामाल किया है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर लंबी अवधि का लक्ष्य है तो म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी के जरिए निवेश करना बेहतर तरीका है. इसमें एक बार में ही पैसा लगाने की बजाए आप अपनी आमदनी का एक छोटा हिस्सा महीने महीने के आधार पर निवेश कर सकते हैं.


15% सालाना से ज्यादा रिटर्नम्यूचुअल फंड रिटर्न चार्ट पर लंबी अवधि में तमाम ऐसे इक्विटी फंड हैं, जिन्होंने डबल डिजिट में बल्कि 15 फीसदी से ज्यादा सालाना रिटर्न दिया है. एफडी, आरडी, बांड या पीपीएफ जैसी स्कीम में ये रिटर्न संभव नहीं है. हमने यहां 20 साल में मंथली 4000-5000 रुपये SIP के पर कुछ फंडों का रिटर्न चेक किया है

Nippon India Growth Fund : 8 अक्टूबर, 1995

लांच के बाद से रिटर्न : 20.91 प्रतिशत

20 साल में Mutual Funds SIP रिटर्न : 19.87 प्रतिशत

4 हजार महीने Mutual Funds SIP  की 20 साल में वैल्यू: 1.05 करोड़

50 हजार एकमुश्त निवेश की वैल्यू: 23 लाख रुपये

न्यूनतम SIP: 100 रुपये

एसेट्स: 6,509 करोड़ (31 जुलाई, 2020)

एक्सपेंस रेश्यो: 1.90 प्रतिशत


DSP Equity Fund

29 अप्रैल, 1997

लांच के बाद से रिटर्न: 18.49 प्रतिशत

20 साल में Mutual Funds SIP  रिटर्न: 17.75 प्रतिशत

4 हजार महीने Mutual Funds SIP की 20 साल में वैल्यू: 80 लाख

50 हजार एकमुश्त निवेश की वैल्यू: 12 लाख रुपये

न्यूनतम SIP: 500 रुपये

एसेट्स: 3,568 करोड़ (31 जुलाई, 2020)

एक्सपेंस रेश्यो: 2.06 प्रतिशत (30 जून, 2020)

जोखिम: औसत


SBI Long Term Equity Fund

31 मार्च, 1993

लांच के बाद से रिटर्न: 15.47 प्रतिशत

20 साल में Mutual Funds SIP  रिटर्न: 17.49 प्रतिशत

4 हजार महीने Mutual Funds SIP की 20 साल में वैल्यू: 78 लाख

50 हजार एकमुश्त निवेश की वैल्यू: 8.5 लाख रुपये

न्यूनतम Mutual Funds SIP : 500 रुपये

एसेट्स: 7,239 करोड़ (31 जुलाई, 2020)

एक्सपेंस रेश्यो: 1.85 प्रतिशत (30 जून, 2020)

जोखिम: औसत


ICICI Prudential FMCG Fund

 31 मार्च, 1999

लांच के बाद से रिटर्न: 16.16 प्रतिशत

20 साल में Mutual Funds SIP  रिटर्न: 18.56 प्रतिशत

4 हजार महीने Mutual Funds SIP की 20 साल में वैल्यू: 89 लाख

50 हजार एकमुश्त निवेश की वैल्यू: 13 लाख रुपये

न्यूनतम SIP: 100 रुपये

एसेट्स: 541 करोड़ (31 जुलाई, 2020)

एक्सपेंस रेश्यो: 2.61 प्रतिशत (30 जून, 2020)

जोखिम: औसत कम से

फ्रैंकलिन इंडिया प्राइमा फंडलांच डेट: 1 दिसंबर, 1993

लांच के बाद से रिटर्न: 18.27 प्रतिशत

20 साल में Mutual Funds SIP रिटर्न: 18.91 प्रतिशत

4 हजार महीने Mutual Funds SIP की 20 साल में वैल्यू: 93 लाख

50 हजार एकमुश्त निवेश की वैल्यू: 21 लाख रुपये

न्यूनतम SIP: 500 रुपये

एसेट्स: 6,201 करोड़ (31 जुलाई, 2020)

एक्सपेंस रेश्यो: 2.18 प्रतिशत (30 जून, 2020)

जोखिम: औसत कम से


Note :- Mutual Funds में निवेश की सलाह नहीं देता है. निवेश संबंधी निर्णय से पहले स्वयं पड़ताल करें या विशेषज्ञ से परामर्श करें.

Wednesday, August 12, 2020

TikTok in talks with RIL to sell Indian Business

टिकटॉक का भारतीय कारोबार रिलायंस खरीद सकता है


भारत ने जून में लगाया था टिकटॉक पर बैन

भारत में फिर आने के लिए टिकटॉक बेकरार है। यूजर्स के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा बाजार है भारत Tiktok की पैरेंट कंपनी बाइटडांस इस के भारतीय कारोबार को बेचने की योजना बना रही है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बाइटडांस शॉर्ट वीडियो ऐप Tiktok का भारतीय कारोबारी मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली (आरआईएल) को बेच सकती है। इस संबंध में दोनों कंपनियों के बीच जुलाई के आखिर में बातचीत शुरू हुई थी। दोनों कंपनियां अभी किसी भी लेन-देन पर नहीं पहुंची हैं। इस पर रिलायंस, बाइटडांस और Tiktok  ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

जुलाई के आखिरी में शुरू हुई थी रिलायंस और बाइटडांस में सौदे बाजी भारत ने जून में लगाया था टिकटॉक पर बैन, अमेरिका में लगा प्रतिबंध

भारत ने लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत सरकार ने चीन की कंपनियों के 59 ऐप पर बैन लगा दिया था। इसमें टिकटॉक, वीचैट, अलीबाबा ग्रुप का यूसी ब्राउजर जैसे पॉपुलर ऐप शामिल थे। इस के बाद सरकार ने पिछले महीने जुलाई में भी चीन के 47 ऐप पर बैन लगाया था। इस में अधिकांश पहले बैन किए गए ऐप के क्लोन थे। इस प्रकार भारत सरकार अब तक चीन के 106 ऐप पर बैन लगा चुकी है। टिकटॉक के भारतीय कारोबार की वैल्यू 3 अरब डॉलर के करीब आकलन की गई है।

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अमेरिका ने भी चीनी ऐप टिकटॉक पर बैन को मंजूरी दी


अमेरिका ने भी चीनी ऐप Tiktok पर बैन को मंजूरी दी थी। इस संबंध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक प्रस्ताव पर साइन कर चुके हैं। हालांकि, अमेरिका ने बाइटडांस कोTiktok का अमेरिकी कारोबार किसी अमेरिकी कंपनी को बेचने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया है। यदि बाइटडांस 15 सितंबर तक कोई सौदा नहीं कर पाती है तो Tiktok पर लगाया गया बैन लागू हो जाएगा।

टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस कि माइक्रोसॉफ्ट-ट्विटर से चल रही बातचीत

टिकटॉक का अमेरिकी कारोबार खरीदने के लिए सबसे पहले माइक्रोसॉफ्ट सामने आई थी। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी इसकी जानकारी दे दी थी। ट्रंप ने भी माइक्रोसॉफ्ट के ऑफर का सहयोग किया है। अभी टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार को बेचने को लेकर माइक्रोसॉफ्ट और बाइटडांस में कोई अंतिम सौदा नहीं हो पाया है। इस बीच पिछले सप्ताह यह खबर भी आई थी कि टिकटॉक का अमेरिकी कारोबार खरीदने के लिए ट्विटर भी बाइटडांस से बातचीत कर रही है। टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार की वैल्यू 30 अरब डॉलर के करीब आकलन की गई है।

20-19 में बाइटडांस ने भारत से 43.7 दस लाख कमाए

20-19 में बाइटडांस ने भारत में 43.7 दस लाख रुपए का व्यापार किया। कंपनी को 3.4 करोड़ का रुपए का फायदा हुआ। अमेरिका से कंपनी को 650 करोड़ का कमाई मिला था। वहीं, चीन से कंपनी को 2500 करोड़ रुपए का कमाई मिला। कारोबारी कमाई के हिसाब से भारत बाइटडांस के टॉप 10 देशों में शामिल नहीं है। ऐप्स बिजनेस कारोबार पर नजर रखने वाली सेंसर टॉवर के मुताबिक, टिकटॉक के यूजर बेस में तेजी से इजाफा हो रहा है। 29 अप्रैल के डेटा के अनुसार, दुनिया भर में टिकटॉक 200 करोड़ बार डाउनलोड किया गया। दुनियाभर में टिकटॉक के 80 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं।

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Monday, August 10, 2020

Top 10 stock picks by Best Brokerage and Target

 ब्रोकरेज: केआर चोकसी

HDFC Bank : खरीदें | टारगेट : 1,427 रुपये | Next One Year Return : 37 प्रतिशत


एचडीएफसी बैंक के Q1 20-21 परिणामों ने एक चुनौतीपूर्ण मैक्रो वातावरण के बावजूद मजबूत बैलेंस शीट वृद्धि को दर्शाया और सभ्य ऋण वृद्धि के पीछे लागत आय अनुपात में सुधार हुआ। बैंक की रणनीति अपने खुदरा फुटप्रिंट और शाखाओं के नेटवर्क (336 जोड़ी गई YoY) को बढ़ाना है। हम आगे की लागत क्षमता के लिए कमरा देखते हैं जो पूर्व-प्रावधान परिचालन लाभ (पीपीओपी) की वृद्धि को सुविधाजनक बनाएगा जबकि एनआईएम को थोक व्यापार की ओर उधार मिश्रण में अपनी पारी को देखते हुए स्थिर रखने की उम्मीद है। उत्तराधिकारी अनिश्चितता ने एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में शशिधर जगदीशन को आरबीआई की मंजूरी दे दी।

HDFC Asset Management Company : खरीदें | टारगेट : रु। 3,020 | Next One Year Return,  27 प्रतिशत

HDFC AMC एक मजबूत रिटेल ब्रांड है, जिसमें Q1 FY21 पर 5.6 मिलियन डॉलर का अनूठा निवेशक आधार है। AMC के Q1 20-21 नंबर टॉपलाइन पर कमजोरी को दर्शाते हैं, माना जाता है कि अगले 1-2 तिमाहियों तक जारी रहेगा क्योंकि COVID-19 संकट से ग्राउंड नंबर अभी भी उत्साहजनक नहीं हैं। हालांकि, हम कंपनी की बुनियादी बातों, बाजार नेतृत्व की स्थिति (कुल उद्योग एयूएम का लगभग 14 प्रतिशत), विविध उत्पाद पोर्टफोलियो, और दक्षता में सुधार के लिए व्यापार चैनलों के डिजिटलीकरण पर केंद्रित कई रणनीतियों पर सकारात्मक बने रहना जारी रखते हैं। एक बार सामान्य रिटर्न और रिटेल निवेशकों के निवेश विषय को फिर से शुरू करने पर एचडीएफसी एएमसी ग्रोथ उत्पन्न कर सकेगी।

Bajaj Finserv : खरीदें | टारगेट : 8,203 रुपये |Next One Year Return : 30.4 प्रतिशत

लॉकडाउन के बीच, बजाज फिनसर्व ने अपनी डिजिटल क्षमताओं को बढ़ाया और अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना जारी रखा। दोनों सहायक कंपनियां - BAGIC और BALIC ने एजेंटों और POSP कर्मियों को सभ्य संख्या में (एक साथ लगभग 4000 एजेंटों को Q1FY21 में काम पर रखा)। कुल मिलाकर, अनिश्चितताओं के बीच समूह ने संकट को अच्छी तरह से प्रबंधित किया। हमें उम्मीद है कि बजाज फिनसर्व वित्त वर्ष -201822 से 11.7 प्रतिशत की सीएजीआर में मजबूत राजस्व वृद्धि प्रदान करेगा। इसके अलावा, BAGIC और BALIC, दोनों बीमा हथियार, क्रमशः 280 प्रतिशत और 760 प्रतिशत सॉल्वेंसी अनुपात के साथ विलायक हैं, जो संकट को आसानी से पालने में सक्षम होंगे।

Minda Industries : खरीदें | टारगेट: 336 रुपये | Next One Year Return : 19 प्रतिशत


मिंडा इंडस्ट्रीज विविध उत्पाद पोर्टफोलियो के साथ अग्रणी ऑटो सहायक खिलाड़ी है और 2-व्हीलर और 4-व्हीलर में मजबूत उपस्थिति है। एमआईएल को अपने विविध सेट उत्पाद पोर्टफोलियो के कारण उद्योग से बेहतर बढ़ने की उम्मीद है जिसमें स्विच, प्रकाश व्यवस्था, सेंसर, एयर बैग, इन्फोटेनमेंट, बैटरी, मिश्र धातु के पहिये, ब्लो मोल्डेड पार्ट्स आदि शामिल हैं।

CreditAccess ग्रामीण: खरीदें | टारगेट: 684 रुपये | Next One Year Return : 16 प्रतिशत

CreditAccess ग्रामीण, एक प्रमुख NBFC MFI है जो 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में अपने 40.11 लाख के सूक्ष्म उधारकर्ता आधार को क्रेडिट प्रदान करता है। 11,720 करोड़ रुपये के सकल ऋण पोर्टफोलियो (जीएलपी) में 53.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हमारी राय में, कंपनी का प्रमुख व्यवसाय ग्रामीण (ग्रामीण उधारकर्ताओं का 82 प्रतिशत) में है; और इसलिए इसमें COVID-19 के कारण सामान्य पोस्ट लॉकडाउन में वापस आने की व्यापक गुंजाइश है। हमें स्थिर मांग और पर्याप्त तरलता के कारण संवितरण में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। तदनुसार, हम P / ABV को 2.43x के कई गुणा आवंटित करते हैं, FY22E को प्रति शेयर 684 रुपये के लक्ष्य मूल्य पर पहुंचने और स्टॉक पर खरीद रेटिंग बनाए रखने के लिए 281.6 रुपये प्रति शेयर की समायोजित समायोजित पुस्तक मूल्य।

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ITC : खरीदें | टारगेट : 228 रुपये | Next One Year Return : 17 प्रतिशत

हम गैर-चक्रीय क्षेत्रों में अपने विविध कार्यों के लिए आईटीसी को पसंद करते हैं, सिगरेट कारोबार में मजबूत ब्रांड नेतृत्व की स्थिति और खुद को एफएमसीजी प्रमुख के रूप में स्थापित करने की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। चल रहे COVID-19 से संबंधित मंदी के बावजूद, हम हाल के महीनों में वसूली के संकेत और वर्तमान मूल्यांकन को आकर्षक देखते हैं। SOTP मूल्यांकन का उपयोग करते हुए, हम प्रति शेयर 228 रुपये के लक्ष्य मूल्य पर पहुंचते हैं; और आईटीसी के शेयरों पर एक खरीद रेटिंग बनाए रखें।

FY20 के लिए, ITC ने सिगरेट कारोबार और FMCG / एग्री बिजनेस से आने वाले प्रमुख राजस्व के साथ 2.2 प्रतिशत YoY की राजस्व वृद्धि की सूचना दी। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एफएमसीजी और एग्री बिजनेस की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2015 में 45 प्रतिशत के आसपास महत्वपूर्ण सुधार और वित्त वर्ष 2016 में 27 प्रतिशत तक निरंतर रैंप और अधिग्रहण के माध्यम से बढ़ी। हालाँकि लाभप्रदता के संदर्भ में, FMCG व्यवसाय को समग्र लाभ में योगदान करने में कुछ समय लगेगा (FMCG & Agri खंड ने EBIT में लगभग 7 प्रतिशत का योगदान दिया है) जो आगे चलकर मूल्यांकन को आगे बढ़ाएगा।

ब्रोकरेज: एंजेल ब्रोकिंग

Alembic pharma : खरीदें | टारगेट: 1,400 रुपये | Next One Year Return : 29 प्रतिशत

एलेम्बिक को भारतीय फार्मास्युटिकल मार्केट (आईपीएम) के 1.5 प्रतिशत के मौजूदा बाजार हिस्सेदारी से बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की उम्मीद है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्षों में एलेम्बिक फार्मा 15-17 प्रतिशत तक अपनी टॉपलाइन बढ़ाएगा। कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढाँचे में बड़े कैपेक्स लगाए हैं।

ICICI बैंक: खरीदें | टारगेट: 410 रुपये | Next One Year Return : 14 प्रतिशत

कम लागत पर पर्याप्त तरलता जुटाने की क्षमता बैंकों के लिए मौजूदा स्थिति को नेविगेट करने के लिए महत्वपूर्ण मानदंड होगा। ICICI बैंक स्पष्ट रूप से देयता पक्ष (Q4FY20 में, जमा 18 प्रतिशत YoY और 45 प्रतिशत के CASA अनुपात) में बेहतर स्थिति में है। आईसीआईसीआई बैंक ऐतिहासिक औसत मूल्यांकन के लिए एक महत्वपूर्ण छूट पर (मुख्य बैंकिंग व्यवसाय - 1.1x FY22ABV) व्यापार कर रहा है और वैश्विक टेलविंड्स को दिए गए मौजूदा स्तरों से अनुकूल जोखिम इनाम प्रदान करता है।

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HDFC: खरीदें | टारगेट : 2,075 रुपये | Next One Year Return : 16 प्रतिशत

कम लागत पर पर्याप्त तरलता एनबीएफसी / बैंक के लिए वर्तमान स्थिति को नेविगेट करने के लिए महत्वपूर्ण मानदंड होगा, क्योंकि परिसंपत्ति का प्रवाह रोक के कारण सीमित है। एचडीएफसी मजबूत परिचालन मैट्रिक्स, अनुभवी प्रबंधन और उद्योग की सर्वश्रेष्ठ क्रेडिट रेटिंग के कारण प्रतिस्पर्धी दर पर फंड जुटाने में सक्षम है। एचडीएफसी ट्रेडिंग कर रहा है (कोर बैंकिंग बिजनेस - 1.42x FY22ABV) ऐतिहासिक औसत मूल्यांकन के लिए एक महत्वपूर्ण छूट पर है और वर्तमान वैश्विक स्तर पर दिए गए मौजूदा स्तरों से अनुकूल जोखिम इनाम प्रदान करता है।

L&T Infotech : खरीदें | टारगेट: 2,838 रुपये | Next One Year Return: 15 प्रतिशत

हम उम्मीद करते हैं कि कंपनी वित्त वर्ष 2015 की संख्या COVID-19 के फैलने के बावजूद FY19-FY22 के बीच 6.7 / 8.4 / 4.8 प्रतिशत की राजस्व / EBITDA / PAT वृद्धि दर्ज करेगी। हम एलएंडटी इंफोटेक पर COVID-19 के प्रकोप के सीमित प्रभाव की उम्मीद करते हैं क्योंकि अधिकांश आईटी कंपनियां पहले से ही लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए स्थानांतरित कर चुकी हैं।


Note :-  किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले उपयोगकर्ताओं को प्रमाणित विशेषज्ञों के साथ जांच करने की सलाह देता है।

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Saturday, August 8, 2020

Vodafone Idea Q1 Results 2020 Loss 25.460 crore

 वोडाफोन और आइडिया शुरुआती कारोबार में वोडाफोन और आइडिया कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई लेकिन बाद में यह करीब 7 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ। वोडाफोन और आइडिया गुरुवार को तिमाही के परिणामों की घोषणा की गई जिसमें उसका नुकसान कई गुना बढ़ गया। Stock market news in hindi


देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी Vodafone Idea  ( वोडाफोन आइडिया ) के शेयरों में शुक्रवार को गजब का उतारचढ़ाव देखने को मिला। शुरुआती कारोबार में कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई लेकिन बाद में यह करीब 7 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ। वोडाफोन आइडिया ने गुरुवार को जून तिमाही के नतीजे घोषित किए थे जिसमें उसका नुकसान कई गुना बढ़ गया। इसकी वजह से शुरुआती कारोबार में कंपनी के शेयरों में गिरावट आई। बीएसई पर यह 7.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.64 रुपये पर पहुंच गया था।लेकिन दिन के चढ़ने के साथ इसमें तेजी आने लगी। अंत में यह 7.03 प्रतिशत की तेजी के साथ 8.83 रुपये पर बंद हुआ।

NSE पर 6.66 प्रतिशत की बढ़त के साथ 8.80 रुपये पर बंद हुआ। BSE पर  सुबह 7.87 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.60 रुपये पर पहुंच गया था। निचले स्तर पर मूल्य खरीदकर स्टॉक में ठीक हो सकता है। वॉल्यूम के हिसाब से BSE पर 1121.88 लाख और NSE पर 68 करोड़ से अधिक शेयरों का लेन-देन हुआ था |


पहली तिमाही के घाटे में वृद्धि कई गुना वोडाफोन और आइडिया ने परिणाम की घोषणा बाजार बंद होने के बाद की जून तिमाही नतीजे की घोषणा की थी। कंपनी का शुद्ध नुकसान चालू वित्त साल में 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर 25,460 करोड़ रुपये पहुंच गया। वैधानिक बकाया मद में अधिक प्रावधान से कंपनी का नुकसान बढ़ा है। वोडाफोन और आइडिया ने गुरूवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि एक साल पहले इसी तिमाही में कंपनी को 4,874 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। कंपनी की ऑपरेशन आय 2020-21 की पहली तिमाही में नीचे 10,659.3 करोड़ रुपये रही जो एक साल प्रथम इसी तिमाही में 11,269.9 करोड़ रुपये थी।


RBI meeting Not EMI relief 2020

Thursday, August 6, 2020

RBI meeting Not EMI relief 2020

रेपो दर 4 प्रतिशत बनाए रखने के लिए निर्णय लिया गया है। हालांकि, रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर स्थिर।

रिवर्स रेपो रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं 3.35% पर स्थिर रिजर्वबैंक बैठक मौद्रिक नीति समीक्षा के परिणाम आता है। तीन दिनों तक चली इस बैठक में रेपो रेट को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है. रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं मतलब है कि आप ईएमआई या ऋण की दर से नई सहायता नहीं मिलेगा रहे हैं।



रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, जबकि बैठक के परिणामों जानकारी देते कि रेपो रेट 4 प्रतिशत बनाए रखने के लिए निर्णय लिया गया है  हालांकि, रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर स्थिर हैं।

आरबीआई गवर्नर ने लोन मोरेटोरियम को लेकर कोई बात नहीं की है. आपको बता दें कि 31 अगस्त को लोन मोरेटोरियम की अवधि खत्म हो रही है | ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई गवर्नर इस मुद्दे को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. बैंकों की ओर से लगातार इसे आगे नहीं बढ़ाने की गुजारिश की जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा अक्टूबर में अनुसूचित।आरबीआई गवर्नर ने लोन मोरेटोरियम को लेकर कोई बात नहीं की है. आपको बता दें कि 31 अगस्त को लोन मोरेटोरियम की अवधि खत्म हो रही है. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई गवर्नर इस मुद्दे को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. बैंकों की ओर से लगातार इसे आगे नहीं बढ़ाने की गुजारिश की जा रही है. अब रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक अक्टूबर में होने वाली है.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि खुदरा महंगाई दर नियंत्रण.गवर्नर के मुताबिक कोरोना के बाद देश की इकोनॉमी अब ट्रैक पर लौट रही है केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी कमजोर है |गवर्नर ने कहा कि अच्छी पैदावार से ग्रामीण इकोनॉमी में रिकवरी है.विदेशी मुद्रा भंडार में निरंतर वृद्धि जारी है.।भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर दूसरी छमाही में महंगाई को कम कर सकते .MSMES के कर्ज की मोहलत बढ़ा दी गई है. अब अवधि 31 मार्च 2021 तक है | रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी ग्रोथ रेट Negative रहेगी.

इस बीच, शेयर बाजार में बढ़त बरकरार सेंसेक्स 200 अंक मजबूत और निफ्टी 11,150 अंक मजबूत

केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन को और भी आकर्षक बनाया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई का रुख उदार बना रहेगा। बैंक गोल्ड ज्वैलरी पर 90 प्रतिशत तक लोन दे सकेंगे। मौजूदा समय में सोने के कुल मूल्य का 75 प्रतिशत तक ही लोन मिलता है। यह सुविधा 31 मार्च 2021 तक दी गई है। कोरोना वायरस महामारी के समय में लोगों ने गोल्ड लोन का काफी इस्तेमाल किया है। आरबीआई ने यह फैसला किया। गोल्ड लोन में गोल्ड ज्वैलरी को बतौर जमानत रखवाकर कर्ज दिया जाता है। इतना ही नहीं, गोल्ड की बढ़ती कीमतों की वजह से लोग अधिक राशि के लोन के लिए आवेदन कर सकेंगे।

Wednesday, August 5, 2020

Moody's increased Yes Bank rating 2020 target

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने यस बैंक की रेटिंग में सुधार किया है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने संकटों से जूझ रहे इस निजी बैंक की रेटिंग को एक पायदान बढ़ा दिया है. हाल ही में यस बैंक ने 15,000 करोड़ रुपये का सफल FPO ( एफपीओ ) पेश किया था, जिसकी वजह से इसकी रेटिंग में सुधार किया गया है.


वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज का मानना है कि इस कदम के बाद बैंक अपनी खोई साख वापस पाने में और Liquidity  संकट से उबरने में सफल हो सकता है. यस बैंक की रेटिंग अब B3 की है, जो पहले Caal की थी. यह अधिक उच्च वाली श्रेणियों में सुधार दर्शाता है. सोमवार को जारी रिपोर्ट में वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने कहा, फंड जुटाने में सफलता दर्शाती है कि बाजार को बैंक पर आत्मविश्वास बढ़ेगा और इससे इसकी वित्तीय स्थिति बेहतर होगी और जमाकर्ताओं का भरोसा बढ़ेगा." बीते सप्ताह यस बैंक ने $2 अरब का फंड जुटाया था. बैंक की पूंजी स्थिति अब प्रतिद्वंद्वी की तुलना में ठीक नजर आ रही है. जून 2020 के बाद पूंजी विस्तार के बाद बैंक की कॉमन इक्विटी टियर 1 अनुपात, 6.6 फीसदी से दोगुना होकर 13.4 फीसदी तक पहुंच गया है.

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने कहा कि बैंको के तमाम अनुपातों में सुधार के चलते इसके एसेट क्वालिटी जोखिम बेहतर होंगे, जो मौजूदा आर्थिक हालातों के चलते पैदा हुए थे. जून तिमाही में बैंक लिक्विडिटी कवरेज अनुपात (एलसीआर) तीन गुना बढ़कर 114 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो मार्च तिमाही में 40 प्रतिशत था. हालांकि, बैंक एसेट क्वालिटी में गिरावट से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. लोन मोरेटोरियम हटने के बाद बैंकिंग इंडस्ट्री पर दबाव बढ़ सकता है,

जिसमे यस बैंक भी अछूता नहीं है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज का भी मानना है कि Corona-19  वायरस महामारी की वजह से यस बैंक की एसेट क्वालिटी पर दबाव बढ़ सकता है. अप्रैल मध्य तक यस बैंक का 40 से 45 प्रतिशत कर्ज मोरेटोरियम के दायरे में था. यदि इस स्तर में और अधिक वृद्धि होती है, तो इससे बैंक की एसेट क्वालिटी के साथ-साथ मुनाफा क्षमता पर भी दबाव बढ़ेगा.

yes bank share target price 16.rs after 9-10 months