सेबी पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम में बदलाव करने पर विचार कर रहा है.
बाबा रामदेव के पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया के शेयर ने इस साल (2020) 9,280 फीसदी छलांग लगाई. फिर इसकी कीमत आधी हो गई. हालांकि, अपने निचले स्तर से यह अब भी 4,200 प्रतिशत ऊपर है. शेयर में आई तेजी ने सेबी को भी हैरान कर दिया है. यही वजह है कि वह पब्लिक शेयर होल्डिंग नियम में बदलाव करने पर विचार कर रहा है.
हम बात कर रहे हैं बाबा रामदेव के पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया की. दिवालियापन की प्रक्रिया से निकलने के बाद इसके शेयर ने शानदार तेजी दिखाई है. इसकी वजह यह है कि इस कंपनी में आम निवेशकों की हिस्सेदारी बहुत कम है
अब सेबी का मानना है कि दिवालियापन से निकलने वाली कंपनियों के पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों में बदलाव जरूरी है. एक कंपनी के लिए आवश्यक शेयरों की बस 25 प्रतिशत। हालांकि, नियमों सार्वजनिक शेयरधारिता दिवालियापन से उभरा कंपनी से अलग हैं।
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दिवालियापन से निकलने के बाद शेयर बाजार में फिर लिस्ट होने वाली कंपनियों को न्यूनतम 10 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग के लिए 18 महीने का वक्त मिलता है. सेबी इसे घटाकर 6 महीने करना चाहता है.इस नियम के अनुसार, दोबारा लिस्ट होने वाली कंपनी को दूसरी बार लिस्टिंग के तीन साल बाद पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी तक करना होता है. बता दें की सितंबर 2018 से फरवरी 2020 के बीच रुचि सोया समेत चार कंपनियां दोबारा शेयर बाजार में लिस्ट हुई हैं.सेबी ने रुचि सोया के मामले में अपने सलाह पत्र में कहा, "हाल ही में पाया गया है कि दिवालियापन और समाधान प्रक्रिया के बाद कंपनी में सार्वजनिक निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर महज 0.97 फीसदी रह गई. इससे इसके शेयर में जबरदस्त तेजी आई है."
बीते साल योग गुरु बाबा रामदेब की पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया का अधिग्रहण किया था. 31 मार्च 2020 तक संस्थापकों के पास कंपनी की 99.03 फीसदी हिस्सेदारी थी. कंपनी के शेयर का भाव 16.20 रुपये से 1,535 रुपये के स्तर तक पहुंच गया. इसके बाद कंपनी शेयर 50 फीसदी तक लुढ़क गए.
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, अपने शिखर स्तर पर कंपनी की वैल्यूएशन $6 अरब थी, जो मैरिको इंडस्ट्रीज और कोलगेट पामोलिव जैसी दिग्गज एफएमसीजी कंपनियों से अधिक थी "सार्वजनिक हिस्सेदारी कम होने से कई चिंताएं खड़ी होती हैं. इससे शेयर का उचित भाव पता चल पाना मुश्किल हो जाता है
सेबी ने कहा कि दूसरी विकल्प यह भी है कि दोबारा लिस्टिंग के समय ही सार्वजनिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी की न्यूनतम सीमा 5 फीसदी तय कर दी जाए,.मगर इससे गैर-लिक्विड शेयरों की चिंताए कम नहीं होती हैं. इस प्रस्तावों पर बाजार से जुड़ी इकाई को 18 सितंबर तक अपनी राय देनी है.जून तिमाही में रुचि सोया का मुनाफा 13 फीसदी घटकर 12.25 करोड़ रुपये रहा, जो बीते साल इस तिमाही में 14.01 करोड़ रुपये था. 30 जून को खत्म हुई तिमाही में कंपनी की कुल आय घटकर 3,057.15 करोड़ रुपये रही, जो पहले 3,125.65 करोड़ रुपये थी.
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