stock market news in hindi: Next meeting of RBI committee is scheduled from September 29 to October 1, 2020

Subscribe

Friday, August 21, 2020

Next meeting of RBI committee is scheduled from September 29 to October 1, 2020

रिजर्व बैंक फिर घटा सकता है ब्याज दरें ?

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास मानते हैं कि मौद्रिक नीति में आगे और कदम उठाने की गुंजाइश है पर फिलहाल वह अपने शस्त्रों को भविष्य में इस्तेमाल के लिये बचाकर रखने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए इनका उपयुक्त समय पर इस्तेमाल किया जाना चाहिये। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हालिया बैठक के ब्यारे में यह बात सामने आई है।


रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की इस महीने की शुरुआत में हुई तीन दिवसीय बैठक की कार्यवाही की जानकारियां गुरुवार को जारी की गईं। गवर्नर दास की अगुवाई वाली समिति ने यथा स्थिति बरकरार रखते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, समिति ने अपना रुख उदार बनाए रखा, जिससे भविष्य में कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए जरूरत पड़ने पर दरों में आगे कटौती की गुंजाइश के संकेत मिलते हैं। ब्योरे के अनुसार, दास ने यह भी कहा कि इस स्तर पर वृद्धि और मुद्रास्फीति के सब के एक मजबूत आकलन के लिए इंतजार करना बुद्धिमान होगा। दास ने कहा कि फरवरी 2019 के बाद से नीतिगत दर में कुल 2.50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। उन्होंने कहा, ऐसे में हमें कुछ समय के लिए रुकना चाहिए और इस कटौती का प्रभाव वित्तीय प्रणाली में देखना चाहिए। दास ने कहा, इस मौके पर वृद्धि और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के मजबूत आकलन के लिए इंतजार करना विवेकपूर्ण होगा, 

अर्थव्यवस्था धीरे धीरे खुल रही है, आपूर्ति में अड़चनें कम होती दिख रही हैं और मूल्य जानकारियां पाने का स्वरूप स्थिर हो रहा है। गवर्नर ने कहा कि घरेलू और बाहरी मांग के बीच कम क्षमता के उपयोग से निवेश मांग के मरम्मत में देरी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के साल की पहली छमाही में संकोचन की आशंका है, और पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वृद्धि के नकारात्मक रहने का अनुमान है।

दास ने कहा कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर समूचे खाद्य और उपभोक्ता मूलय सूचकांक में आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट की आशंका की स्थिति में दबाव होना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा,जैसा कि मैं अक्तूबर 2019 से कह रहा हूं, मौद्रिक नीति को आर्थिक सुधार प्रक्रिया के समर्थन की दिशा में बनाया गया है। हालांकि, मौद्रिक नीति के तहत और कदम उठाने की गुंजाइश बनी हुई है लेकिन इस स्थिति में हमें अपने हथियारों को बचाकर रखना चाहिए और आने वाले समय में विवेकपूर्ण तरीके से इनका उपयोग करना चाहिए। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एवं एमपीसी के सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने अर्थव्यवस्था का परिदृश्य नरम होने को लेकर सजग करते हुए कहा कि जब यह सुधरता है, जो कि धीमी गति से होने की उम्मीद है, ऐसे में बेहतर होने से पहले इसके और बिगड़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का टिकाऊ पुनरुद्धार विभिन्न क्षेत्रों में गतिविधि को फिर से शुरू करने, रोजगार बहाल करने, परिवारों, व्यवसायों व वित्तीय माध्यमिक निकायों के वित्तीय तनावों को कम करने, आत्मविश्वास बहाल करने आदि कारकों पर निर्भर करता है।

शेयर मार्केट से जुड़े ही डाली अपडेट खबरों के लिए हमारे blogspost को Followers करे

आरबीआई के कार्यकारी निदेशक मृदुल के सगर ने कहा कि उबरने का रास्ता अनिवार्य रूप से इस बात से जुड़ा हुआ है कि महामारी का आने वाले समय में क्या रुख रहता है। जब तक इसे काबू कर सामान्य स्थिति बहाल नहीं कर ली जाती है, उबरना मुश्किल होगा। समिति में बाहरी सदस्य रवींद्र एच ढोलकिया ने कहा कि व्यापक आर्थिक माहौल के बारे में काफी अनिश्चितताएं हैं। ढोलकिया ने कहा, हालांकि, मौजूदा परिस्थितियां वास्तव में असाधारण हैं, लेकिन एमपीसी को मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत की ऊपरी सीमा के दायरे में रखने की दी गई जिम्मेदारी को निभाने पर जोर देना चाहिए। समिति की सदस्य पामी दुआ का मानना है कि इस मोड़ पर प्रतीक्षा व समीक्षा की रणनीति को अपनाना और उभरती व्यापक आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए आने वाले आंकड़ों पर नजर रखना सबसे अच्छी रणनीति होगी। बाहरी सदस्य चेतन घाटे ने कहा कि वह फरवरी 2019 से ही नीति दर में कटौती के लिए अधिक सतर्क राह अपनाने की वकालत कर रहे हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 29 सितंबर से एक अक्तूबर 2020 को होनी तय है।

शेयर मार्केट से जुड़े ही डाली अपडेट खबरों के लिए हमारे blogspost को Followers करे

https://stockmarketnewsinhindi.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment