stock market news in hindi: क्या 2000 रुपए का नोट बंद होने वाला है ?

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Tuesday, August 25, 2020

क्या 2000 रुपए का नोट बंद होने वाला है ?

 2000 रुपये के नोट को लेकर लगातार खबरें आती रहती है. भारतीय रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते एक साल में उन्होंने 2000 रुपये का एक भी नया नोट नहीं छापा है.इस वित्त वर्ष में नहीं छपे 2000 रु के नोट,तो क्या भारतीय रिजर्व बैंक बंद करने वाली है क्या 2000 रुपए का नोट बंद होने वाला है ?

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि साल 2019-20 में 2000 रुपये के नोट की छपाई नहीं की गई है. बीते सालों में भी 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन भी कम हुआ है. 2000 रुपये के नोट का प्रसार मार्च 2018 के अंत में 33,632 लाख था जो मार्च 2019 के अंत तक घटकर 32,910 लाख पर आ गया. आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि मार्च 2020 के अंत तक 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन 27 398 मिलियन करने के लिए गिर गया है।

2000 रुपये के नोट को लेकर सरकार दे चुकी हैं सफाई- वित्त और कारपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोशल मीडिया पर छाई 2000 रुपये के नोट को बंद करने की खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि 'सरकार की फिलहाल 2,000 रुपये का नोट बंद करने की कोई योजना नहीं है.

इकॉनमी में व्यापक सुधारों की जरूरत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि कोविड-19 के बीच भारत को एक स्थिर वृद्धि की राह पर लौटने के लिए गहरे और व्यापक सुधारों की जरूरत है. केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि इस महामारी की वजह से देश की संभावित वृद्धि दर की क्षमता नीचे आएगी. केंद्रीय बैंक के आकलन और संभावनाओं में कहा कि कोविड-19 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से तोड़ दिया है. भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था के आकार के इस तथ्य पर निर्भर करेगा कि क्या महामारी के फैलाव कैसा रहता है, और महामारी कब तक रहती है और कब तक इसके इलाज का टीका आता है. केंद्रीय बैंक का 'आकलन और संभावनाएं 2019-20’ की वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं.

रिजर्व बैंक ने कहा कि एक बात जो उभरकर आ रही है, वह यह है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बदल जाएगी और एक नया सामान्य सामने आएगा. रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी के बाद के परिदृश्य में गहराई वाले और व्यापक सुधारों की जरूरत होगी. उत्पाद बाजार से लेकर वित्तीय बाजार, कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर व्यापक सुधारों की जरूरत होगी. तभी आप वृद्धि दर में गिरावट से उबर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ मजबूत और एक स्थिर वृद्धि की राह पर ले जा सकते हैं.


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