ये डिमांड के आधार पर तय होता है. अगर कोई आईपीओ ओवरसब्सक्राइब हुआ है, यानी कि जितने शेयर ऑफर किए गए थे, उससे ज्यादा बिड्स मिले हैं, तो जाहिर है कि सबको अलॉटमेंट नहीं मिलेगी. अगर बिड्स पूरी नहीं मिली हैं तो सबको अलॉटमेंट मिलेगी.
IPO Allotment के क्या हैं नियम?
1. आईपीओ अलॉटमेंट में सबसे पहले कितने शेयर हैं और किस कैटेगरी- Retail, NII (non-instittutional investors) और QIB (Qualified Institutional Buyers) में कितने बिड्स आए हैं. निवेशकों की कैटेगरी के हिसाब से आईपीओ अलॉटमेंट के नियम भी अलग होते हैं.
2. एलोकेशन के लिए आपके ऐप्लीकेशन में कोई गलती नहीं होनी चाहिए, अगर गलत डीमैट अकाउंट नंबर दिया, एक ही PAN ने कई ऐप्लीकेशन डाल दिए हैं, ऐसी गलतियां की हैं तो आपका ऐप्लीकेशन खारिज किया जा सकता है.
3. ये भी जान लीजिए कि कट-ऑफ प्राइस तक या इसके ऊपर आए हुए ऐप्लीकेश पर विचार किया जाता है.
अगर किसी कैटेगरी में ओवरसब्सक्रिप्शन है तो उसे दूसरी कैटेगरी से एडजस्ट कर लिया जाएगा. लेकिन QIB कैटेगरी में अंडरसब्सक्रिप्शन हुआ है तो इसे किसी और कैटेगरी में एडजस्ट नहीं किया जा सकता.
क्या है IPO Allotment का तरीका ?
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आईपीओ अलॉटमेंट का तरीका निवेशक की कैटगरी और आईपीओ के सब्सक्रिप्शन लेवल पर निर्भर करता है. कुछ खास बातें हैं-
जैसे अगर हर इन्वेस्टर कैटेगरी में आईपीओ में सब्सक्रिप्शन कम हुआ है तो वैलिड ऐप्लीकेशन वाले हर निवेशक को फुल अलॉटमेंट मिल जाएगा.
अगर आईपीओ किसी एक कैटेगरी में ओवरसब्सक्राइब्ड है और किसी दूसरी में अंडरसब्सक्राइब्ड तो ओवरसब्सक्रिप्शन को अंडरसब्सक्रिप्शन वाले हिस्से में एडजस्ट कर दिया जाता है, लेकिन ये QIB यानी Qualified Institutional Buyers पर लागू नहीं होता, उन्हें इस एडजस्टमेंट में शामिल नहीं किया जाता.
अगर किसी आईपीओ में ओवरसब्सक्रिप्शन हुआ है तो जारी करने वाली कंपनी लॉटरी सिस्टम या निवेशक की कैटगरी के अनुपात के आधार पर शेयर एलोकेट करती है.